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दोस्त की बेवफ़ाई




दोस्त की बेवफ़ाई
मेंरे दोस्त 
मेरे दोस्त तुम क्या से क्या हो गए हो? 
कल तक थे अपने अब ख़फा हो गए हो 
मधुवन की कलियाँ, गाँवों की गलियाँ
नदी के किनारे, कुदरती नज़ारे, 
सभी के सभी तो हैं पहले ही जैसे―
केवल तुम्ही बस दफ़ा हो गए हो  |
                     मेरे दोस्त तुम .....
आई दिवाली खुशियाँ मनाली
खुशियों से मन की पीड़ा मिटा ली 
वही थी अमावस , वही थी सजावट। 
मगर बस तुम्ही बेवफा हो गए  हो।
                      मेरे दोस्त तुम .....
बहती हवा पूछे तेरा ठिकाना ,
समझ में न आए, क्या है बताना ।
चारों दिशाएँ   नहीं कुछ बताएँ, 
न  जाने  कहाँ  गुमशुदा  हो  गए  हो?
                       मेरे दोस्त तुम....
फ़िज़ाओं  में खुशबू चमन है बिखेरे,
हैं गाते परिंदे सवेरे, सवेरे ।
मधुर रागिनी से विकल चित हो मेरा,
भाए न चंदा , तुम जुदा हो गए हो।
                       मेरे दोस्त तुम...
झरनों की थिरकन , भौरों का गुंजन,
पावस की रिम- झिम ,मयूरों का नर्तन।
दबे पाँव देते हैं एहसास तेरा-
मानो तुम्हीं अब ख़ुदा हो गए हो ।
                         मेरे दोस्त तुम...। ।      
                                          ©डॉ हरि नाथ मिश्र
                                           9919446372

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1 Comments

Renu

04-May-2023 09:56 PM

👍

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